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BHAVANA AHUJA

Abstract

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BHAVANA AHUJA

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कविता - उम्र

कविता - उम्र

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खुशियों के तरानो से खाली उम्र नहीं गुजरती है,

जिंदगी वो सच्चाई है जो हर पल बदलती है !

नया रूप लेती वो प्रतिदिन , हर पहर मरती है,

जीवन-मरण का अनोखा खेल , हर रोज़ पूरा करती है !

बनते-बिगड़ते रिश्तो का रोज़ नया पन्ना जुड़ता है,

प्यार पाने के लिए हर इंसान दहकता है !

रोज़ नए ख्वाब आँखों में महकते हैं,

वक़्त को थाम लें यही ताना-बाना बुनते हैं !

गुरुर के आसमान को छूती मज़िलों पर बढ़ती है,

पर वक़्त के खेल की बाज़ी पलट भी जाती है !

खुदा ने प्यार बख्शा सबको एक सामान है,

रहो खुश, जियो प्रतिदिन यही उम्र का रुझान है !!



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