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pratibha dwivedi

Romance Tragedy

4  

pratibha dwivedi

Romance Tragedy

तमन्ना

तमन्ना

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शादी किसी से हो गई  

दिल आशना था किसी पर

अब दोष किसको दूँ

जो चोट खाई है दिल पर


कह नहीं सके या समझ नहीं सके

दिल उनके बारे में सोचता है

उसकी हुई जब सगाई

तो कुछ अंदर से टूटता है

वो कार्ड देने आई


शादी में जरूर आना

फिर भी ना रोक सके

तय हुआ उसका जाना

तमन्ना अपने दिल की

दफन करने में जुट गए

वक्त की चक्की में

सभी अरमान पिस गये


वक्त गुजरता रहा

फेरे हमने भी लिए

फिर भी यादों के भँवर से 

आजाद ना हुए

दिल में दबा वो प्यार .


उस तक पहुँच बनाता रहा

वो जब भी शहर आती

मिलने जाता रहा

बातों ही बातों में

दिल की बातें बोल दीं


दिल में दफ्न हर तमन्ना की

तहें सभी खोल दीं

सुनकर वो मुस्काई थोड़ा सा सकुचाई

धीरे धीरे मगर दिल के वो करीब आई

सिलसिला मुलाकातों का फिर बिंदास चलने लगा


शादीशुदा होकर भी प्यार दोनों में पलने लगा

अभी भी लेकिन करार नहीं मिल पाया

पत्नी और मेहबूबा में किसी एक को ना चुन पाया

तमन्ना हुई दोनों सँग जिंदगी बिताने की


पर हिम्मत ना जुटा सके दोनों को सच बताने की

पत्नि के होते मेहबूबा मिलेगी नहीं....

पत्नि को छोड़ दूँ तमन्ना अब होती नहीं

कभी मजे लेता हूं कभी बेचैन हो लेता हूँ


तमन्ना दिल की पूरी करने ईमान भटका लेता हूँ

यही है सच्चाई तमन्ना दिल में रखने वालों की

वक्त पर दिल का सच हिडन करने वालों की

जिनके भी दिल की कली ट्यूबलाइट की तरह जलती है

उनकी ही तमन्ना अक्सर हाथ मलती है


किसी एक के वो कभी हो ही नहीं पाते हैं

जिंदगी को आईने सा बना ही नहीं पाते हैं

ना जाने कितने राज उनके दिल में दफ्न होते हैं

राज खुलने के डर से झूठ पर झूठ बोलते हैं


नासमझी में कभी-कभी

बड़ा बवाल होता है

इक तमन्ना दबाने पर ऐसा भी हाल होता है

"मुस्कान" की गुजारिश है दिल की तमन्ना को समझो भी

छुप-छुपा के प्यार क्या करना

दिल अटका हो जिस पर

शादी उसी के सँग करो भी

दिल अटका हो जिस पर

शादी उसी के सँग करो भी।


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