तकदीर की रेखा !
तकदीर की रेखा !
तेरी सांसों ने
मेरे कहे एक
एक शब्दों में जैसे
ऊष्मा भर दी तभी
तो वो मेरे सारे शब्द
जैसे अमर हो गए।
पाकर तेरी सांसों
की ऊष्मा को
वो ही तो शब्द थे
जो मुझे सबसे प्रिय थे
तब से मैं घिस रहा हूँ,
उन शब्दों को अपनी
हथेली पर ताकि
वो मेरी हथेली में
तकदीर की एक
नई रेखा बनकर
उभर आये !