तीसरी बेटी - कलंक
तीसरी बेटी - कलंक
दादी हो तुम
माँ को हो दुत्कारती
बेटियाँ जन्मी।
आप भी बेटी
माँ -बहने भी बेटी
फिर कलंक ?
युग बदला
बेटियाँ निष्कलंक
बनो गर्विता।
सभी समझो
बेटा-बेटी समान
स्वीकार करो।
कलंक नहीं
परिवार गौरव
तीसरी बेटी।
डाक्टर बनी
दादी वारी है जाए
माँ निष्कलंक।
गली ढिंढोरा
फूली नहीं समाए
दादी शगुन।
नहीं कलंक
न मारो गर्भ में ही
बेटी गर्व है।
जागो इंडिया
तीसरी बेटी जन्म
नहीं कलंक।