STORYMIRROR

ARVIND KUMAR SINGH

Abstract

4  

ARVIND KUMAR SINGH

Abstract

तीन बन्दर

तीन बन्दर

1 min
23.3K

जैसे ही शोर शराबा देखा था

लूट पाट या कत्ले आम कहीं

देख मूंद आंख अंधे हो जाना

हमको यही विचार आया था 

नहीं देखना चाहिए बुराई को 

गांधी जी ने यही सिखाया था


सहायता के लिए कोई अबला

जब भी पुकार रही हो रो कर

चुपचाप वहां से निकल लेना

ही बेहतर वहां से बहरे होकर

चीख पुकार भी तो बुरी चीज

क्यों सुनना मन में आया था


बोल न देना किसी को कुछ

कभी भी उसकी गलती पर

आराम से मौज में रह लेना

कायम हो अपनी चुप्पी पर

कभी किसी भी बुराई पर

न कहना मन को भाया था


वाह रे गांधी जी के तीनों बंदर

तुमने बुराई से हमें बचाया था

बुरा मत देखो, न सुनो न कहो

यही तो तुम्हें भी सिखाया था।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract