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Arvind Saxena

Romance

5.0  

Arvind Saxena

Romance

थोड़ा सा प्यार

थोड़ा सा प्यार

2 mins
292


क्या तुमने कभी, मुझसे कभी,

थोड़ा सा भी, प्यार किया है,

चाहे सच्चा हो, चाहे झूठा था हो,

चाहे जैसा हो, बस प्यार हो,

वो एक लम्हा ही सही

मुझे उस लम्हे का प्यार दो,

क्या गुज़रा था, क्या बीता था,

मुझे वो पूरा हिसाब दो....


क्या तुम भी कभी मुझे सोच के

शर्मायी थी,

उस रात क्या फिर तुम्हें

नींद न आई थी,

रखा था कभी क्या तकिये के नीचे

मेरी तस्वीर को,

और सुबह देख के उसे फिर

तुम मुस्कुराई थी,


वो एक लम्हा ही सही

मुझे उस लम्हे का प्यार दो,

क्या गुज़रा था, क्या बीता था,

मुझे वो पूरा हिसाब दो..


क्या देख के मुझे होंठ मुस्कुराते थे,

रोम रोम तुम्हारा हाल ऐ दिल बताते थे,

और छिपाती थी तुम कितना भी,

जज़्बात चेहरे पे उमड़ आते थे,


वो एक लम्हा ही सही

मुझे उस लम्हे का प्यार दो,

क्या गुज़रा था,क्या बीता था,

मुझे वो पूरा हिसाब दो..


क्या करके याद मुझे कभी

अश्क़ बहाये थे,

माँगा था कभी मुझे जब

हाथ फैलाये थे,

और लगा लिया था

जुबान पे ताला,

जब भी कभी सामने

हम आये थे,


वो एक लम्हा ही सही

मुझे उस लम्हे का प्यार दो,

क्या गुज़रा था, क्या बीता था,

मुझे वो पूरा हिसाब दो..


रखा है क्या आज भी सम्भाल के

मेरी यादों को,

मेरे साथ बिताये हुए दिन

और रातों को,

जी थी क्या तुमने भी उन

लम्हों में ज़िन्दगी,

और दबा के रख लिया फिर

अपने जज्बातों को ...


वो एक लम्हा ही सही,

मुझे उस लम्हे का प्यार दो,

क्या गुज़रा था,क्या बीता था,

मुझे वो पूरा हिसाब दो....


क्या तुमने कभी, मुझसे कभी,

थोड़ा सा भी, प्यार किया है,

चाहे सच्चा हो, चाहे झूठ हो,

चाहे जैसा हो, बस प्यार हो,

वो एक लम्हा ही सही,

मुझे उस लम्हे का प्यार दो,

क्या गुज़रा था,क्या बीता था,

मुझे वो पूरा हिसाब दो....


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