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Arvind Saxena

Others

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Arvind Saxena

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डूबना

डूबना

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उस दिन कुछ उलझती हुई शाम थी,

मैं भी उलझा , वो भी उलझी

जाने क्या बात थी

एक समुन्द्र के किनारे पे बैठे हम

शायद यही सोच रहे थे

कि ,

उस पार कैसे जायेंगे

मँझधार में डूब तो न जायेंगे?

सूरज की तरफ देखकर

पूछा उस से

क्या हमारा साथ दे पाओगे?

किनारे तक पहुँचने से पहले

तुम भी डूब तो न जाओगे?

सूरज मुस्कराया और बोला,

ये मेरे जीवन के यात्रा है,

इसमें डूब के ही जाना है।

बिना डूबे कोई मंजिल तक नहीं पहुँचता

तुम्हे सम्पूर्ण होने के लिए डूबना ही पड़ता है,

सुबह के लिए रात में डूब कर ही जाना होता है।

एक जीवन से दुसरे जीवन की यात्रा में

मृत्यु में डूबना ही होता है,

सफलता पाने के लिए असफलता में डूबना ही होता है,

सुख के लिए दुःख में डूबना होता है,

डूबने को गलत मत समझो

मैं डूबता हूँ तो दिन रात होते हैं,

मैं डूबता हूँ तो चार मौसम होते हैं,

तुम्हे भी अपनी यात्रा पूर्ण करने के लिए डूबना ही होगा।

जितना डूबोगे उतना ही किनारे के नजदीक होगे,

इतना सुनकर हम भी तैयार हो गए

अपनी यात्रा को पूर्ण करने के लिए,

डूब कर किनारा पाने के लिए

एक नए सवेरे के इंतज़ार में।


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