फिर से मोहब्बत
फिर से मोहब्बत
देख के फिर से तुझे
हो गयी थी मोहब्बत
तूने बोला गुनाह
हमने कुबूल कर लिया
हमने पूछा भी था
क्यूँ हो अब तलक तन्हां
तुमने लगा के इल्ज़ाम
कत्ल फिर कर दिया
आंख भी भर गई
धड़कन भी बढ़ गयी
तूने लगा के गले
अपना फिर कर लिया
दिन भी कटने लगा
रात भी गुज़रने लगी
तेरे ठिकाने को हमने
घर अपना कर लिया
होश तुझे न था
बेखबर सा मैं था
तूने मेरा मैने तेरा
फिर नशा कर लिया
सुबह तेरे नाम से
रात तेरे जाम से
हमने भुला के जहां
इश्क़ फिर कर लिया।

