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Mani Loke

Classics Fantasy Inspirational

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Mani Loke

Classics Fantasy Inspirational

थम सा गया जीवन

थम सा गया जीवन

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थम सा गया जीवन, न कोई हलचल,

ना है कोई महफिल, थम सा गया जीवन।

सोच ऐसी रुक सी गई, थम सा गया जीवन।

कार्य जैसे थमते नहीं, पर थे एक ही से हर दिन।


कपड़े पड़े अलमारियों में, सोचा करें कुछ यूं,

मेरे मालिकों की तबीयत को हो क्या गया हर दिन,

थम सा गया क्या उनका जीवन ?

सोच मेरी एक और ही जाए,

मन का परिंदा जैसे उड़ना भूल जाए।


चिड़ियों की आहट होती कुछ ज्यादा,

पर कहां मेरी कलम रगड़ती थी ज्यादा।

हर पल हर लम्हा जैसे थम सा गया था,

उम्मीद थी, डर भी था, न जाने कब, कहां, कैसे का खौफ भी था।

पर फिर भी उम्मीद ज्यादा थी ख़ौफ़ से,

विश्वास अधिक था, इस महामारी के प्रकोप से।


उम्मीद थी कई सपनों की, कुछ अपनों की, कुछ गैरों की।

उम्मीद थी नए मुकाम की,

फिर एक बार चलने वाले राह की।

इस रात की सुबह नयी थी,

थमी सी जो जिंदगी चल पड़ी थी।

लोकडौन हटा, फिर चल पड़ी यू जिंदगी,

जैसे सपनों से जागकर मैं उठ पड़ी थी।


पर डर था, है, रहेगा हमेशा,

रफ्तार के फिर थमने का।

अंदेशा हमेशा कहीं फिर न रुक जाए सोच,

और थम न जाये ये जीवन।

और इस सोच में फिर एक बार कलम रगड़ रही थी।

अपनी सोच को सुचारू और जीवन मे हलचल भर रही थी।


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