तेरी ख़ूशबू से
तेरी ख़ूशबू से
तेरी ख़ूशबू से महका हुआ है मेरा जहाँ
यादों की महफ़िलों में तुम बसे हो यहाँ
सोचती हूँ ज़िंदगी भर महकता रहे साँसो का जहाँ
मन्नतों से पाया है मेरी साधना का हर पल वहाँ
फ़िज़ायें रंगीन खिले रहे गुलिस्तानों के कँवल जहाँ
रंग-बिरंगे फूलों से तेरी ख़ूशबू महकती रहें वहाँ।