तेरी बाहें
तेरी बाहें
फिर किसी रोज कोई आसमानी आफत आएगी,
उजड़ जाएगा धरती का रेजा रेजा,
सूरज फटकर निस्त–ओ–नाबुद हो जाएगा,
उसके इर्दगिर्द घूमते सारे ग्रह तबाह हो जाएंगे,
हर तरफ हर ओर हर सूक्ष्म से अती सूक्ष्म कण नष्ट हो जाएगा,
सारी जमीनी आबादी, सारी मनुष्य जात,
जानवर, कुदरत, किसी एक क्षण के पांचवे हिस्से में ही विलीन हो जाएंगे,
कुछ बाकी रहेगा तो,
वो सुकुनी एहसास,
जो मुझे तेरी बाहें देती है।