तेरे नाम की पतंग जो उड़ाई है
तेरे नाम की पतंग जो उड़ाई है


तेरे नाम की पतंग जो आज हवा में उड़ाई है
और तेरी यादों की डोर मेरे हाथों से उलझ
आई है
तुझे तलाशता रहा मैं जमीं पर इधर उधर
पर तेरी तस्वीर पतंग के साथ-साथ आसमां
में नज़र आई है
बात नहीं होती तुझ से अब दिल मेरा मायूस
रहता है
और यादों के इन पलों में आँख मेरी भर
आई है
तू कहाँ होगी कैसी होगी सोच सोच घबराता हूँ
अपने दिल की दास्तां आज मैने चाँद सितारों
को सुनाई है
मैं चाँद बन फलक पर उतर आऊँगा तुम
झरोखे पर आ जाना
और देखा करूँगा तुम्हें, अब बस यही उम्मीद
मैने लगाई है