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Writer Rajni Sharma

Action

5.0  

Writer Rajni Sharma

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तेरे कर्ज़दार हैं हम

तेरे कर्ज़दार हैं हम

2 mins
390


देश की आजादी खातिर घर आँगन अपना छोड़ चला

भारत माँ का कर्ज़ चुकाने अपनों से मुख मोड़ चला

तेरे जैसे वीर सपूत अब इस माँ को कहाँ मिल पाएंगे

सदियों तक भी हम हिंदुस्तानी, तेरा कर्ज़ चुका ना पाएंगे।


जलियांवाला बाग की घटना ने जब था झकझोर दिया

देशप्रेम की खातिर अपनी शिक्षा को भी छोड़ दिया

तेरे उन बलिदानों को हम कभी समझ ना पाएंगे 

सदियों तक हम हिंदुस्तानी तेरा कर्ज़ चुका ना पाएंगे।


शादी करने को जब घर वालों ने दबाव डाला था

भागकर घर से आज़ाद के क्रांति ग्रुप को संभाला था

तुम्हारे जैसी अनोखी मोहब्बत तो शायद ही निभा पाएंगे

सदियों तक हम हिंदुस्तानी तेरा कर्ज़ चुका ना पाएंगे।

 

हिंदू - मुस्लिम के झगड़ों ने हमारी संस्कृति को तोड़ दिया

तब इंकलाब का नारा देकर तुमने इंसानियत को जोड़ दिया

धर्म जात से बढ़कर थी जो तुम्हारी, परिभाषा सबको समझाएँगे 

सदियों तक हम हिंदुस्तानी तेरा कर्ज़ चुका ना पाएंगे।


लाठियों से पीट-पीटकर अंग्रेजों ने लाला जी को मार दिया था 

सांडर्स की हत्या कर तूने उनको करारा जवाब दिया था 

वह जुनून और जज़्बा तेरा कहीं देख ना पाएंगे 

सदियों तक हम हिंदुस्तानी तेरा कर्ज़ चुका ना पाएंगे।

  

बहरों को भी थी गूँज सुनी इंकलाब जब बोला था

बटुकेश्वर के संग मिल असेंबली में बम फोड़ा था

रोंगटे खड़े करती तेरी वो

शेर सी दहाड़ कहां सुन पाएंगे 

सदियों तक हम हिंदुस्तानी तेरा कर्ज़ चुका ना पाएंगे ।


कुछ स्वार्थी गद्दारों ने बस देश की सत्ता को हथियाया था 

आजाद, भगत जैसे असली वीरों ने मौत को गले लगाया था

जो फूल खिलाए क्रांति के बरसो यूं ही लहराएंगे 

सदियों तक हम हिंदुस्तानी तेरा कर्ज़ चुका ना पाएंगे। 


कुछ कुर्सी के भूखे नंगों को तुमने आजादी मुफ्त में बांटी थी 

उनका रास्ता साफ हो गया 

क्योंकि तुमने रस्सी चूम ली फांसी की

जो छाप छोड़ गए अरबों दिलों पर हरगिज़ मिटा ना पाएंगे 

सदियों तक हम हिंदुस्तानी तेरा कर्ज़ चुका ना पाएंगे।


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