तेरे दर्शन पाऊँ
तेरे दर्शन पाऊँ
नित-नित तेरे खवाबों की
दहलीज़ पे आऊँ
भोर होने से पहले हर रोज
तेरे दर्शन पाऊँ
लिपटा रहूँ चंदन पे सर्प सा
पल पल तेरी खुशबू पाऊँ
तू बन जाना मूरत प्यार की
जब जब तुझे रिझाऊँ
ये पवित्र रिश्ता बन्धन जन्मों सा
धड़कनों में अमर कर जाऊँ
हर मंज़र पर हो विराजमान तू
मैं जहाँ देखूं बस तुझे पाऊँ
तुझ से जुड़ी हो हर पहर मेरी
तेरे नाम को सारे सुर दे जाऊँ
नित-नित तेरे खवाबों की
दहलीज़ पे आऊँ
भोर होने से पहले हर रोज
तेरे दर्शन पाऊँ।