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Sheetal Raghav

Classics Inspirational

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Sheetal Raghav

Classics Inspirational

तेरे और मेरे,हर घर की कहानी।

तेरे और मेरे,हर घर की कहानी।

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परिवार,

एक ढाल के, 

जैसा होता,


जहां हर सुख-दुख,

सबका, 

यंहा सांझा होता, 


दादा दादी के, 

किस्से सुने सुन के,

यहां हर बच्चा, 

जवान होता, 


मिलजुल कर,

रहते सब,

कोई ना थोड़ी, 

देर को भी 

तन्हा यहां होता,


दादू आधार घर का है तो ,

दादी खुशियों की बगिया,

पापा घर की छत है तो, 

मां साक्षात है,अन्नपूर्णा मैया, 


यही धूप भाती है,

मन को,

और भांति, 

चंदा की यही चंदनिया


बड़ा परिवार, 

इंद्रधनुष सा होता, 

भाते घर के सारे, 

भाभी और भैया,


उधम मचाते, 

घर की छत पर, 

पीछे भागे,

चाची जैसी, 

यशोदा मैया, 


वह घर,

खुशनसीब,

कहलाता, 

जहां हरदम, 

रिश्तो का लगता तांता, 


घर एक, 

रिश्ते अनेक, 

एक ही घर में, 

अनेक कहानी, 


कभी होता,

घर में जश्न तो,

कभी आती थोड़ा, 

दुख और थोड़ी परेशानी, 


मिल बैठकर, 

सुलझा लेते,

हर,

खट्टी मीठी परेशानी,


झेल लेते सब लोग ,

कभी,

जो,

बच्चो से हो, 

जाती कोई नादानी,


यही होती है,

संयुक्त परिवार,

की,

निशानी,


यही है, 

तेरे और मेरे,

हर घर की कहानी।।


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