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संदीप सिंधवाल

Romance

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संदीप सिंधवाल

Romance

तेरा साथ

तेरा साथ

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दो कदम साथ चले तो हमनुमा बनकर चले

कांटो की क्या बिसात सहनुमा चढ़कर चले।


तेरा प्याला मुझे पसंद 

और मेरी थाली तुझे 

तेरे आंसू पर मैं ही था 

मेरी हर खुशहाली तुझे

पाना खोना एक सा, हम दिलनुमा संवर चले।

दो कदम साथ चले तो हमनुमा बनकर चले


आज बाल पके वक्त पर

तेरे ओंठो की वही लाली

तुझ से रोज नया सवेरा 

और बीती रात वही काली

लम्हा लम्हा नई जिंदगी, जिंदनुमा तनकर चले।

दो कदम साथ चले तो हमनुमा बनकर चले।।


कुछ खास तेरे वजूद में

जो खुद में मैंने जिंदगी पा ली 

जो तू कल थी आज वही

वही कविता मैंने आज गा ली

हर काव्य में तेरा ज़िक्र, तेरी फिक्रनुमा सहकर चले।

दो कदम साथ चले तो हमनुमा बनकर चले।।


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