तेरा मेरा प्यार अमर
तेरा मेरा प्यार अमर
न मैं मीरा, न मैं राधा, न मैं सावित्री,
न मैं हीर, न मैं अनारकली, न मैं शीरी।
मैं तो बस इक निरीह इन्सान
दस बार सोचूँ करने से पूर्व काम।
पुराने ख्यालों में थे पले बढ़े
संस्कारों के दिल पर पहरे लगे।
मुहोब्बत क्या है यह तो न जाना
माँ पापा ने चुना वो परमेश्वर माना।
समर्पण जीवन का ध्येय बनाया
हर रिश्ता पवित्रता से निभाया।
अब हर रिश्ता तो ऐसा बन गया
जन्मों का मानो रिश्ता जुड़ गया।
प्रेम के किस्सों को धत्त कह उड़ाते थे
आज एक दिन का बिछोह न सह पाते।
'ऐसा भी कहीं होता है 'ये कहते थे हम
'ऐसा भी होता है' ये आज कहते हैं हम।
हो सकता है हम में रवानगी न हो
हो सकता है हम में दीवानगी न हो।
एक दूजे को समर्पित हैं हम।
इक दूजे का गुमान हैं हम।
सुनते हैं इक दूजे को अहं से परे
जीते हैं बस इक दूजे के लिए।
खानदानी मर्यादाओं से निर्वाह करते
हर रिश्ता प्रेम से ही सिंचित करते।
हर रिश्ते का अमर प्यार
जीवन का बस यही सार।
है यथार्थ की इसी धरा पर
सच में, तेरा मेरा प्यार अमर।

