बेवफा तुम नहीं, फिर क्यों ये गुमां होता है, बिन आग , कब धुआँ होता है। बेवफा तुम नहीं, फिर क्यों ये गुमां होता है, बिन आग , कब धुआँ होता है।
एक शाम को बरसते देखा, एक शाम को बरसते देखा,
साथ आप जो दो मेरा, मैं देश का मान बढ़ाउँगा। साथ आप जो दो मेरा, मैं देश का मान बढ़ाउँगा।
अपनी ही लाडो को ज़ंजीरों, तालों में कर लिया है क़ैद अपनी ही लाडो को ज़ंजीरों, तालों में कर लिया है क़ैद
तेरी सांसो के हैं जो पहरे, धड़कनों को मेरी हैं घेरे। तेरी सांसो के हैं जो पहरे, धड़कनों को मेरी हैं घेरे।
है यथार्थ की इसी धरा पर सच में, तेरा मेरा प्यार अमर। है यथार्थ की इसी धरा पर सच में, तेरा मेरा प्यार अमर।