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Randheer Rahbar

Romance

3  

Randheer Rahbar

Romance

तेरा इंतज़ार

तेरा इंतज़ार

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रात भर तलाश थी,

एक अहसास की I

बादल बरसते रहे,

तलब थी लेकिन प्यास की I


दामिनी गिरी यहाँ -वहां ,

मैं खुली आकाश थी I

शीत -सी लहर-लहर,

मगर हरारत भरी वो रात थी I


चाँद जैसे था छुप गया,

और चांदनी बदहवास थी I

तुम थे रूठे उधर ,

सुलह की ना आस थी I

 

वीरान थी डगर - डगर,

चाह थी तेरी मगर I

थक कर अब चूर हूँ,

 नींद की आगोश में I


सवेरा होने को है ,

लेकिन, तेरी आहट की 

अब भी आस थी I


-- रंधीर जांगड़ा 


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