तड़प
तड़प
तड़प न सही जाए उस शफकत की,
जिसके साथ हमने उल्फत की।
अहमक थे हम जो उसे दिल दे बैठे
उसने तो सिर्फ हमारे साथ शरारत की।
एक मर्तबा हम-नफस थी वो हमारी
जिसने आज हमसे रुखसत की।
तालिब था उसका मैं और वो मेरा हबीब,
लेकिन अब गुजिस्ता है वो जिसके साथ हमने मोहब्बत की।

