हमसफर
हमसफर
क्या लिखूं मेरे हमसफ़र पर
अल्फाज कम पड़ेंगे उस शख्स पर ।
अब कलम उठाई है तो लिखता हूं
बात रह ना जाए अधूरी कागज पर ।
मैं उसके साथ बड़ा खुश रहता हूं
उसका ही रहेता है नाम मेरी जुबान पर ।
पल पल बिताने को जी करता है उसके साथ
रखना चाहता हुं मुस्कान उसके चेहरे पर ।
अगर वो किसी तकलीफ में आ जाए तो
रखना चाहता हूं खयाल करके चुंबन माथे पर ।
हर परिस्थिति में उसका साथ देना चाहता हुं
चाहे खुदा को क्यों ना लाना पड़े जमीन पर ।
हम मुतमइन हैं एक दूसरे को पाकर
अब कोई नहीं चाहिए हमें इस जहान पर ।
अब बस सपने पूरे करने हैं हमें
जो होगा देखा जाएगा है यही उम्मीद पर ।
जो कहना था हमने कह दिया हमने यारों
गुस्सा नहीं बस प्यार आता है उस हम-नफस पर ।
मुमताज वो मेरी मैं "यश" हूं उसका
अब इससे ज्यादा क्या बताऊं मेरे हमसफर पर ।

