तड़प
तड़प
कब हमें इनकार है, हम याद तुम्हें करते नहीं
पर यह अलग बात है, अब अश्क यूं बहते नहीं
अब दर्द ही दवा हुई, यह यकीन हो गया हमें
हाथ थामे कोई या नहीं, आह हम अब भरते नहीं
कर दो हमें दरकिनार, हमें हममें ही सकूं मिला
बिन मतलब के सोचो तो, मेहरबान कहीं मिलते नहीं
कुछ तो रात पहलू में, छुपा के रखती होगी
वरना दिल की हकीकत, रात के सफहे पड़ते नहीं
मेरी नज़र का सामना, कैसे तुम अब कर पाओगे
बेदर्दी से वफ़ा का दावा, देखो! बेवफा करते नहीं
तमन्नाएं अब बदल गई, ली जो करवट करार ने
बिजलियां अब बेअसर हैं, सुनो! हम अब तड़पते नहीं....
