ताउम्र
ताउम्र
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बारिश की फुहार
जो घिर-घिर बरसी
रक़्स करता रहा,
मेरे ख्वाबो में अक़्स उनका,
ढूँढते रहे वो भी ताउम्र
समुंदर में तिनका,
चंद बूंदों ने मेरा
दामन यूँ छू लिया
वीरानियाँ उनकी
उदासी का सबब रही,
कुछ बातें अनकही,
जो इशारों में कही,
वो महरूम रहे उनसे,
उन्हें ख़याल था जिनका,
ए खुदा ये वीरानियाँ,
उदासियाँ अब
ख़त्म कर दे उनकी,
उन्हें खुशियों से आबाद कर,
हमे चाहत है जिनकी,
यह रिमझिम का मौसम
कुछ लुभाने लगे उनको
नाक़मियाँ उनकी
तमाम मिट जाए,
क़ामयाबी का चाँद उन्हे,
ईद सा नज़र आए,
सितारे झुके आसमाँ के,
उनके क़दमों पर,
हर आहत पर उनकी,
बहार मुस्कुराए,
वो गुज़रे जिधर से,
उनका ही ज़िक्र हो,
हर ज़हन हर दिल में,
उनकी ही फ़िक्र हो,
उनके लबों पर
नाम रहे जिनका,
गम क्या चीज़ है,
मौत भी कुछ
बिगाड़ ना पाए उसका।