सच हो या कोई ख़्वाब हो तुम
सच हो या कोई ख़्वाब हो तुम
सच हो या कोई ख़्वाब हो तुम
सुर्ख सुरीली, शब-ए-शबाब हो तुम
झील हो कोई, या हो कोई नगीना
तुम जैसा और कोई कहीं ना
सच बताओ कौन हो तुम?
चाँद हो कोई या कोई आफताब हो तुम
छाँव सी शीतल, धूप सी रौशन
फूल की नाज़ुक श्वास हो तुम?
कोई आस हो तुम, खोई प्यास हो तुम
या हो किसी वन की शीत पवन
काम हो तुम, वीराम हो तुम
कोई पथ या मेरा मुकाम हो तुम?
तुम ही तुम, बस तुम ही तुम
इस दिल का हर अरमान हो तुम
मुझ में रमी हुई खुद से गुम
बंसी की धुन, या खुद भगवान हो तुम?
तुम्हें ढूँढ रहा हूँ, तुम्हें खोज रहा हूँ
हर छिन हर पल तुम्हें सोच रहा हूँ
शाम की मटमैली हो आखिरी किरण
या सुबह की पहली अज़ान हो तुम?
बिखरी हुई सी कभी उलझी हुई सी
इस जीवन का जैसे प्राण हो तुम
हो तुम ही तुम, सब तुम ही तुम
क्या साकी क्या खुद ही जाम हो तुम?
हो तुम ही तुम, बस तुम ही तुम
बेनाम भी और हर एक नाम हो तुम

