चुराए हुए गम
चुराए हुए गम
जाने दिल कहाँ से रोज़ एक ग़म चुरा लाता है,
ना पूछता है मुझसे ना बताता है कुछ खुद ही
बस इसी खुशी में कभी धीरे से गुनगुनाता है,
जाने दिल कहाँ से रोज़ एक ग़म चुरा लाता है।
ज़िंदगी का क्या सबब है जो होगा इस ग़मी का?
पलकें भी बेख़बर हैं क्या कारण इस नमी का,
रो देती है आँख अब खुद ही नहीं कोई रुलाता है
जाने दिल कहाँ से रोज़ एक ग़म चुरा लाता है
मुझसे कहती है मुफ़लिस हो चुकी शायरी ये मेरी,
कर दे रुखसत अब मुझको रहूंगी कनीज़ सदा तेरी,
बेकसी का यह आलम दम-भर नफस को जलाता है,
जाने दिल कहाँ से रोज़ एक ग़म चुरा लाता है।
यहाँ बुझे हुए दियों की आरज़ू होती है कब रौशन?
सोचता हूँ जियूंगा कैसे नहीं होगा जब कोई ग़म,
सुलग उठती है लौ ज़िंदगी की कोई जब मुझको बुझाता है,
जाने दिल कहाँ से रोज़ एक ग़म चुरा लाता है।
चल रहा है उंगली थामे है ख़याल कुछ यह आज़िम
ना कोई खुदा-ए-करीम इसका, ना रसूल, ना कोई वाजिद
तन्हाइयों में अक्सर मैं इसको और ये मुझको लुभाता है
जाने दिल कहाँ से रोज़ एक ग़म चुरा लाता है।
Meanings of few words
सबब - cause, reason
गमी - grief, bereavement
मुफ़लिस - poor, bankrupt
रुखसत - leave, bid adieu, bid farewell
कनीज़ - slave girl, maid
बेकसी - helplessness
आलम - condition, situation
दम-भर - momentarily
नफस - soul, spirit
आरज़ू - desire, wish, longing
रोशन - light, clear, evident
आज़िम - determined, resolute
खुदा-ए-करीम - kind God
रसूल - a Prophet, a messenger of
