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Reena Devi

Romance

3  

Reena Devi

Romance

प्यार या आकर्षण

प्यार या आकर्षण

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कैसे कहूँ मैं दिल की बात सखी

रहने आया पड़ोस में हम जात सखी


वो काम सीखने आया था ,

पर मन को मेरे भाया था।

देखूं ना तो बने ना बात सखी,

कैसे कहूँ मैं दिल की बात सखी।


कभी भीतर कभी बाहर आऊं,

हरपल उसको देखना चाहूं।

कैसे जगे दिल मैं जज़्बात सखी,

कैसे कहूँ मैं दिल की बात सखी।।


एक दिन वो बाहर ही ना आया,

मन ने मुझे बेबस बनाया।

हुए दुश्वार दिन रात सखी,

कैसे कहूँ मैं दिल की बात सखी।।


ये प्यार था या नादानी थी,

सपना था या कहानी थी।

सुलझाए ना सुलझे सवालात सखी

कैसे कहूँ मैं दिल की बात सखी।



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