तेरे दिल में
तेरे दिल में
तू भूल गई मुझे पल में
तेरी उम्मीद जागी दिल में
चाँद को जैसे चाँदनी की प्यास
मेरे प्यासे दिल को तेरी ही आस
मैंं कहीं हार ना जाऊँ इश्क के खेल में
मेरी रूह की तू बन गई है आदत
सारे जँहा को छोड़ करुँ तेरी इबादत
मैं उलझा रहता हूँ सवालों के हल में
याद आती है वो तेरी मुस्कराहट
नज़रों से जाती नहीं तेरी वो आहट
अब लगता है डर तन्हाई की रेल में
तेरे नाम से छेड़ता हूँ रोज सरगम
शब्दों में लिख ना पाए तेरा संगम
मैं क़ैद हो चुका हूँ इश्क़ की जेल में।

