तार - तार हो रहा मनुज !
तार - तार हो रहा मनुज !
दिन पर दिन आवश्यक होता जाता विश्व बन्धुत्व है।
तार-तार हो रहा मनुज अब खतरे में अस्तित्व है।।
शासक सत्ता के मद में हैं सब झूम रहे,
अपना एटम बम लेकर के सब फूल रहे।
रक्षक बन बैठे अब भक्षक, स्वार्थों में संलिप्त हैं,
तार - तार हो रहा मनुज....।।
खेतों में बारूद उग रहा शासक बने विक्षिप्त हैं,
अणु बम अपना नष्ट करो यह नारा ही संक्षिप्त है।
जीने का हक मानव का है यह संकल्प निभाना है,
तार-तार हो रहा मनुज....।।
रक्त एक है, प्राण एक है, मानव मानव एक,
शासित हैं सब एक केंद्र से यह विचार है नेक।
टुकड़ों में मानव को बांटो, हमको अब मंज़ूर नहीं है,
तार-तार हो रहा ....।।
सूरज एक है, चंदा एक है, एक ख़ुदा, इक बन्दा,
फिर तू मूरख चला रहा क्यों एटम बम का धंधा।
खुली चुनौती है तुम सबको आतंकवाद मिटाना है,
तार-तार हो रहा ...।।
दिन पर दिन आवश्यक होता जाता विश्व बन्धुत्व है।
तार-तार हो रहा मनुज अब खतरे में अस्तित्व है।।