STORYMIRROR

राही अंजाना

Abstract Inspirational

4  

राही अंजाना

Abstract Inspirational

स्वतन्त्र हिंदी

स्वतन्त्र हिंदी

1 min
340

एहसासों की अभिव्यक्ति को जो स्वतंत्र मेरी हिंदी.

 सहज, सरल स्वरूप में साकार मेरी हिंदी, 


जो राष्ट्र है शरीर उसकी रीढ़ मेरी हिंदी,

 धर्म जाति के बन्धन से जो मुक्त मेरी हिंदी,


 राम रहीम के दोहों में भी झलक रही हिंदी, 

 किसी आईने सी साफ़ हो वो रूह मेरी हिंदी,


 देश भक्ति के रंग में हर पर रंगी मेरी हिंदी,

 राष्ट्रगान और राष्ट्र गीत में सजी मेरी हिंदी,


 अंग्रेजी भाषा की जिसको नज़र लगी हिंदी,

 हिला न अस्त्तिव फिर भी जिसका ऐसी अडिग मेरी हिंदी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract