स्वर्ण- सवेरा
स्वर्ण- सवेरा
हर एक ग़म जीवन का हट जाता है
तम छंटता है- रजनी कितनी हो स्याह।
संयम-धैर्य धार धर और मिल जुलकर,
सतत्-संगठित प्रयत्न दिखाते हैं राह।
जीवन में जटिल समस्याएं जब आती हैं,
एक नया अनुभव -नई सीख दे जाती हैं।
कर अवगत हमको अपनी कुछ त्रुटियों से,
एक स्वर्ण सवेरा- हम सबको ही दे जाती हैं।
नई ऊर्जा -नई शक्ति का जन-जन में होता संचार,
ध्वस्त रूढ़ियां हो जाती हैं-नवाचार का होता प्रसार।
सदा सत्य- सुंदर और शुभ ही- होवे प्रभु सबका संसार,
मिल जुलकर सब रहें जगत में पूर्ण धरा हो एक परिवार।