स्वच्छता का रखवाला कचरा वाला
स्वच्छता का रखवाला कचरा वाला
सुभा का बाजा था ९ (9)
घर के दरवाज़े पे दस्तक हुई
मेरे हाथ में था चाई का कप
और दिमाग़ में इतनी जल्दी कोन होगा भला।
होले होले दबे पेर से
जब खोला मेने दरवाज़ा
सामने हाथों में दस्ताने पहने
चेरे पे हंसी लेके प्यारी सी आवाज़ से बोला
बाबूजी घर का कचरा लेने आया हूँ।
वो कचरा जिसे हम हाथ भी नही लगाना चाहते
वो कचरा जिसे देख के मुंह बनाते है
वो कचरा से उनका गुज़ारा होता है
वो कचरा उठाके अपनो का पेट भरता है।
जहाँ उसे देख के हम उससे दाँत रहे थे
वहाँ दूसरे घर में बुजुर्ग उसे पानी पूछ रहे थे
असल में तो हमें बीमारी से ये ही बचाते है
हमारा फेंका हुआ गन्दगी ये ही उठाते है।
तेज बारिश हो या कड़क गर्मी
मूसल दार ठंडी पुरवाई हो या त्योहार
ये ना लेते है कोई छूटी
सफ़ाई कर्मचारी है ये अपने
ये ही है स्वच्छ भारत के रखवाले।
