स्वाद
स्वाद
सत्ताईस जून रविवार आया,
फिर घर में त्योहार आया,
प्रिय डायरी वैसे तो आजकल,
हर रोज़ ही खिलते हैं कमल।
इस वर्क फ्रॉम होम ने बहुत तंग किया,
हर गृहणी का काम दुगुना किया,
सुबह-शाम बस भोजन ही पकता रहे,
तब भी सब को तृप्त ना ये कर सके।
रविवार सुबह नाश्ते में पूरी बनी,
तो दोपहर में बिरयानी,
रात खाई पनीर की सब्जी,
तब भी अधूरी रह गई कहानी।
रात बिस्तर पर सोते वक़्त भी,
बस यही ख्याल आये,
कि कल सुबह क्या बनेगा ?
जिससे सबको स्वाद आये।
