घरों में फिर हो रहे हैं रिश्ते गुलज़ार इन दिनों! घरों में फिर हो रहे हैं रिश्ते गुलज़ार इन दिनों!
कौन जानता था कि वक्त के तेवर यूँ भी पलटते हैं! कौन जानता था कि वक्त के तेवर यूँ भी पलटते हैं!
हम क्यों है फंसे वो अफवाहों से हैं घरों में हम भिखारी से हैं दरों में। हम क्यों है फंसे वो अफवाहों से हैं घरों में हम भिखारी से हैं...
ओ प्यारे भईया! तुम्हें पता है ना अपनी रक्षा कर हमें है देश बचाना! ओ प्यारे भईया! तुम्हें पता है ना अपनी रक्षा कर हमें है देश बचाना!
ये कैसा वक्त आया है जो घरों में क़ैद है सारी दुनिया जरूरी है दो ग़ज की दूरी! ये कैसा वक्त आया है जो घरों में क़ैद है सारी दुनिया जरूरी है दो ग़ज की दूरी!
लॉकडाउन से प्रेम मुझे हो ही गया, पर हर एक रिश्ते की तरह इसमें भी दिल दुखने लगा! लॉकडाउन से प्रेम मुझे हो ही गया, पर हर एक रिश्ते की तरह इसमें भी दिल दुखने ल...