"प्यारे भईया"
"प्यारे भईया"
बड़े हो गये हो तुम पर ये जो दिल है ना मानता ही नहीं,
माँ की सेवा में तत्पर दिन-रात काँधे में बन्दूक लटकाये गश्त लगा रहे हो,
छलक जाती है ये आँखें जब बचपन के उन दिनों की याद आती है कि कैसे तुम मुस्कुराते हुए राखी बंधवा रहे हो,
जानती हूँ तुम सीमा पर खड़े अपना धर्म निभा रहे हो,
ओ प्यारे भईया! तुम सीमा पार इन देश के दुश्मनों से बिलकुल ना घबराना,
इस राखी चाहे तुम फिर ना आना पर तुम देश बचाना|
याद है जब पापा वो डॉक्टर्स किट वाला खिलौना लाये थे तो उस खिलौने के साथ में कितना खेलते थे हम,
पता ही नहीं चला की कैसे डॉक्टरी खेलते-खेलते असल डॉक्टर बन चुके हो तुम,
कमरों के रंगीन पर्दों में छिपना छोड़ अस्पताल के हरे पर्दों के ब
ीच लड़ने वाले सिपाही बन चुके हो तुम,
ओ प्यारे भईया! इस महामारी में लाखों के भगवान हो चुके हो ना तुम इसीलिए सबके विश्वास को बचाना,
चाहे इस बार मुझसे राखी ना बंधवाना पर कोरोना योद्धा बन किसी और की राखी जीवन भर के लिए टूटने से बचाना|
हर साल राखी साथ में मनाते थे और कितना मुस्कुराते थे हम,
ढेरों मिठाई के डब्बे पास रख कर साल भर की खुशियों की दुकान लगाते थे हम,
क्या करें भाई दूर हैं और अब तो कोरोना से भी मजबूर हैं हम,
पर तुम मुझसे एक छोटा सा वादा निभाना,
ओ प्यारे भईया! तुम्हें पता है ना अपनी रक्षा कर हमें है देश बचाना,
इसलिए चाहे तुम इस बार मेरे घर ना आना पर जब भी बाहर जाना तो मास्क ज़रूर लगाना और देश बचाना|