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Stuti Srivastava

Inspirational

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Stuti Srivastava

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शिक्षा का प्रसार

शिक्षा का प्रसार

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जीवन की गाड़ी में ज्ञान रूपी ईंधन भर लो, 

नई सोंच की रौशनी चारों तरफ चमकाओगे, 

ख़ुशी मनाओ कम से कम प्रकृति में धुआँ विषैला तो नहीं फैलाओगे,

यकीन मानों तुम कभी ख़ुद को निराश नहीं पाओगे, 

और जब-जब अपनी झोली कम पाओगे तो किताबों की चौखट में माथा टिकाओगे,  

इसी तरह तुम हर जगह शिक्षा का प्रसार कर पाओगे!


चलो साईकिल से या चाहे पैदल फ़र्क क्या पड़ता है?

यदि होकर झोपड़ी वाले तुम महल वाले के बराबर हो क़ाबिल,

असत्य का गुणगान करो या सत्य की पहचान करो,

अच्छा फैसला ले सको इतने तो बुद्धिमान बनो,  

शिक्षा के उद्देश्यों का पालन करनें में जीवन अपना दान करो,

ज्ञान में लिप्त होने के बाद कम से कम अपनी क़ाबिलियत पर गुमान तो ना करो!

ऐसे ही तुम शिक्षा को आकर देकर, इसका प्रसार करो!


झूठ से लूट और दिलों की टूट-फूट एवं छुआ-छूत का रोग बहुत है संसार में,

बहुत अज्ञानता दूर कर ली हम सबने पर अब कुछ अनोखा करो,  

इसलिए पहले तन-मन के कचरे को पोंछ दो फिर प्रदूषण पर रोक करो,

अर्जित कर रहे हो इतना जिसके कारण तो इसके दाताओं का भी सत-सत नमस्कार करो, 

विद्यार्थी हो तुम इस बात का जीवन में आभार करो!

शिक्षित हो गये हो इसलिए तुम शिक्षा का प्रसार करो!


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