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Stuti Srivastava

Abstract Action Inspirational

4  

Stuti Srivastava

Abstract Action Inspirational

जीवन : एक धार

जीवन : एक धार

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जीवन की धार हो, 

बहता मन उसमे पतवार हो, 

मंथन हो ज्ञान का भरपूर, 

फिर अंधकार हो चूर-चूर, 

हवा एक सफर हो, 

चील से ऊँची उड़ान हो, 

रुक जाओ तो क्या हुआ ? 


करोगे नहीं कुछ तो कैसे कोई कमाल हो ?

बात करते हो तुम तो भाई बड़ी-बड़ी,

पर पतंग जैसे कटने के बाद भी उड़ान हो, 

मेरी नज़रों में तो तुम ही बेमिसाल हो, 

रुको, ठहरो और सोंचो फिर बताओ, 

आकाशगंगा सा गहरा या आकाश तेरा घर हो, 


शब्दों का भंडार हो, 

विचार का नया आयाम हो, 

साहित्य ना समझ पाओगे, 

तो कैसे आखिर बेड़ा पार हो ? 

फूलों सी सुंगंध ला पाओ तो सही, 

वरना ईमानदारी की दुनिया बसाना है,

यह बात तुम ज्ञान से जान लो, 

ना समझे कोई तो ना सही, 


पर तुम मुक्कदर के सिकंदर हो यह गाँठ बाँध लो,

है जीवन को कविता में पिरोना काम आसान नहीं,

इसीलिए यह रचना समझने के लिए ,

स्वयं से प्रश्न की पुकार कर सत्य की पहचान करो।


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