अगर लॉकडाउन एक प्रेमी होता
अगर लॉकडाउन एक प्रेमी होता
शुरूआत तो सभी को अच्छी लगती,
तो मुझे भी लगने लगी,
इश्क़ सा ही तो था ये भी,
फ़िर गुज़रे दिन, हफ़्ते और महीने भी.
लॉकडाउन से प्रेम मुझे हो ही गया,
पर हर एक रिश्ते की तरह इसमें भी दिल दुखने लगा,
"शायद इसको अपनाने में भी मुझे थोड़ा और वक़्त लगेगा"
मैंने खुद को यही समझा लिया.
सताने लगा मुझे ये, "दुख क्यों खत्म नहीं होता है?"
मुस्कुराते मुस्कुराते आँखें भीगा देता है,
पर फ़िर प्रेमी ने मेरे मुझे बीते कल की परछाई से बचाया है,
और ख़ुद से मोहब्बत करने का सबक भी दिया है.
इतनी सी ही तो थी मेरी दुनिया हमेशा से, है ना?
वो तो चका चौंध देख गुम हो गई थी मैं, है ना?
अब जब लगता है वक़्त है मुट्ठी में,
भले ही थोड़ा ही सही पर मैं चल पा रही हूँ उसके साथ में.
ज़िंदा रहने के लिए लोग हज़ारों लोग और वस्तुओं की ज़रूरत बताते हैं,
पर मैंने जाना कि अपनों का प्यार ही दौलत होता है,
अगर लॉकडाउन एक प्रेमी होता,
तो ऐसा रूहदार सा सारथी ही होता!