ख़बर साथ में लाना !
ख़बर साथ में लाना !
जो तुम आये हो तो फिर कोई ख़बर साथ में लाना
दवा की फिक्र नहीं मुझको तुम खंजर हाथ में लाना
है फिक्र गर जमाने की तो फिर मुद्दा क्या बनाना है
ख़्वाबों की वो बातो को हकीकत की बात में लाना
बचपन जो सड़कों पर रोते हैं, भूखे वो बिलखते हैं
चले आयो जो तुमसे हो वो अपने साथ में लाना
जो देखते हो ये गुजरता काफिला सिर्फ़ ना देखो तुम
झट से दौड़कर तुम थोड़ी राहत अपने हाथ में लाना
भला क्यों नाज़ तुम इतना अपनी ताकीदों पे करते हो
जरूरी है कि थोड़ी सी मगरूरी अपने जज्बात में लाना
नही मुमकिन है ये कि हमसे कोई ग़म बाँट ले आकर
हो सके अपने हिस्से की खुशियाँ मेरे लम्हात में लाना
नही कोई उम्मीदें हैं हमे अब सबेरों के उगते सूरज की
मिलकर हिम्मतों की उम्मीदों की लौ को रात में लाना
ये कैसा वक्त आया है जो घरों में क़ैद है सारी दुनिया
जरूरी है दो ग़ज की दूरी हर एक मुलाक़ात में लाना!