भूला नहीं सकता!
भूला नहीं सकता!
चले जाओगे अगर दूर तो बुला नहीं सकता
याद आओगे बहुत लेकिन भुला नहीं सकता
मेरी आँखें दरिया हो जायेंगी तुम्हारे ख़ातिर
सिसक सकता हूँ चीख-चिल्ला नहीं सकता
इश्क़ दोनों ने किया था सजा सिर्फ मैने ही पाई है
और कोई तरीका दिल को मेरे बहला नहीं सकता
जो हुआ अच्छा हुआ दोनों की राहें मुख़्तलिफ़ हैं
अब ना कोई हँसा सकता है कोई रुला नहीं सकता
बज़्म-ए-रिंदाँ में ख़्वाहिश है सागर को सागर की
बज़्म-ए-जानाँ में कोई होठों से पिला नहीं सकता
इक रौशनी के लिये दर-दर भटकते हो तुम भी
'काविश' की तरह कोई अपना घर जला नहीं सकता!