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अच्युतं केशवं

Abstract Others

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अच्युतं केशवं

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सूर्य के घोड़े चले हैं

सूर्य के घोड़े चले हैं

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आप माने या न माने 

-

सूर्य के घोड़े चले हैं,

तिमिर का विश्वास पाने...

इसलिए पतझड़ बसंतो को,

लगे हैं मुँह-चिढ़ाने...

आप माने या न माने...

-

हम पदातिक थे अकेले थे 

अकेले ही खड़े थे...

शत्रु की अक्षौहिणी पर,

सर्वदा भारी पड़े थे...

आज कादर सैन्य लेकर,

रोज गढ़ते हैं बहाने...

इसलिए पतझड़ बसंतो को,

लगे हैं मुँह-चिढ़ाने...

आप माने या न माने...

-

संस्कारों से सुरक्षित,

ध्वज हमारे फहरते थे...

सामने उस आत्मबल के,

कहाँ दुर्जन ठहरते थे...

कालनेमी को लगे बजरंग,

अब उर से लगाने...

इसलिए पतझड़ बसंतो को,

लगे हैं मुँह-चिढ़ाने...

आप माने या न माने...


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