सूखे फूल
सूखे फूल
अभी ही खिले थे अब सूखे फूल हो गए,
बिखरी पंखुड़ियॉं कहतीं हम पॉंव के धूल हो गए।
इत्र सी महकती थी राह कभी,
फूल क्या बिखरे सारे के सारे शूल हो गए।
जीवन की बगिया सुगंध में महकने लगी थी,
अधखिला ही अच्छी थी क्यों बहकने लगी थी।
भ्रमर आया था अपनी मकरंद के लिए,
देखकर जिसे फूल भी चहकने लगी थी।
कुछ फूल ऐसे थे जो गले का हार हो गए,
कुछ प्रेम प्रतीक कुछ जनाजे का उपहार हो गए।
कुछ फूलों की दास्ताऐं अभी बाकी थी,
तो कोई भूमिका और कुछ उपसंहार हो गए।
खुशकिस्मती थी जिनको जन्नत नसीब हुआ,
पैरों तले रौंदे गए वही आज बदनसीब हुआ।
वो फूल सूखा ही पड़ा रहा जमीं पर,
सजा था कल वही गुलदस्ता उसके करीब हुआ।
प्रेम पत्र का पयाम किताबों के पन्ने बयां करते हैं,
कुर्बान होते हैं फूल ही ये मोहब्बत बयां करते हैं।
कॉंटों का चुभन किसी फूल से पूछो,
अपनों का चुभन काॅंटों के सोहबत बयां करते हैं।