सुर्खियों का मौसम
सुर्खियों का मौसम
दिल में आहट भरी हुई थी,
आंखों मैं कुछ और दिल मैं कुछ
और, ये दीदार ए हुस्न,
यूं ही मुहब्बत नहीं होती,
पर, ठंड का आलम था,
दिमाग में जुनून छाया था,
कुछ कर दिखाने का, पर
ठंड का आलम है, बर्फ ने
दिल मन और जुबान सिल दी थी,
दीवानगी हो या मुहब्बत ऐसे नहीं
होती, चेहरे कुछ और दिल में कुछ
था, पर ठंड के आलम ने, सब कुछ उलट पुलट कर दिया।
मौसम के साथ सब रुक जाता है,
एक चद्दर और अच्छी गादी मिल जाये,
तो जीवन रंगीन लगता है, मीठा सपना
पलकें बिछाये बेठा हुआ था,
पर आंखें खुली थी सपने हजारों थे,
ये मंजर यूं ही चलता रहे, ये ठंड को संभाले या चाहत को कुछ समझ न आ रहा?
ये दिल है कि मानता नहीं।