एक छात्र..
एक छात्र..
क्या करे हम..
हमारा तो मानो बटवारा हो गया,
स्कुल के मैं उल्लु के पठ्ठे तो
घर मैं नालायक...
हमारे पीछे अधध कितनी उपमाएं... सुनने के लिए दिल बडा रखो,
सब बनना आसान है पर,छात्र बनना नहीं सब को प्रतिभाशाली बनना है सबको टोप करना है,
सब युही तेज भागोगे तो सोचता कोन रहेगा।
उफ्फ... ए तो समय समज सको तो समझ लो पढाई एक ज्ञान बढाने का जरिया है,न किसी को पागल के लेबल को देने का...
पहेले ईन्सान बने,सबको डॉक्टर ओर इंजीनियर बनना पर पर किसिको इन्शान न बनना,
ऐ क्या बात हुई,परीक्षा मे कोई दोस्त आगे बढा तो तुम कमबख्त,
अरे हम पढाई को खेल समज के पढते है क्यों हमसे हमारी शांति छीन रहे हो,
हमे पहले इंसान बनना है,न रेस का घोडा, हम हम ही ठीक है एसा जुल्म न करो हम पर,न बनना है कोई जेसा हमे हम पर जुल्म मत गुजारा करे,सब सफलता के पुजारी है,हम कलम के ए रेस का घोडा न बनना है हमे... क्या करे हम सोचते थे,हम कि हम केसे शुरुआत करे पर
जो हुआ सो हुवा हम रहेंगे कलम के पूजारी.. हम छात्र है वहीं हम
हमे वहीं रहना है हमारी तेजी मंदी हमारी है,हमको पहले हम बनना है...हम तो वहीं बनेंगे,और कुछ न,
छात्र की आधी जिंदगी परीक्षा और ताने सुनने में ही खत्म हो जाती है।
सबको प्रतिभाशाली बंदा चाहिए...
पर हम खुद को पुछे की
हम क्या चाहते है,हम इन्सान है,
नहीं शो पिस या रेस का घोडा,
पढाई करने के लिए तो पूरी जिंदगी, पर किसी की हार का सरे आम मजाक न बनाया जाये,
सब का बस एक ही है
स्लोगन है पर खुद को इतना
प्यार करो कि दूजे के प्यार की कोई जरूरत न हो।