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શૈમી ઓઝા "લફ્ઝ"

Inspirational

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શૈમી ઓઝા "લફ્ઝ"

Inspirational

सशक्त नारी...

सशक्त नारी...

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मुझे सुन सको तो सुन लो! दुनिया के लोगों मैं बीती हुई पल हूं ।

मुझे कोइ हाथ लगाएगा तो जल के भस्म हो जाएगा,

मे जलती हुई चिंगारी हूं चल रही वर्तमान हूं,आने वाला भविष्य हूं।

मुझे सुन सको तो सुन लो!

मैँ एक पहेली हूं,शायरो की शायरी, कवियों की कविता हूं,दिल के जज़्बात हूं।

मुझे शब्दों मैं सुन सको तो सुन लो!

बेटियां तो कुदरत की देन होती है, न जाने क्यों जन्म से पहले मारी जाती है।

हे कुदरत तूने तो बेटा और बेटी के निर्माण में

कोई अंतर नहीं किया,तो जीने का हक मुझसे ही क्यूँ छीना जा रहा है,

है कुदरत मेरी ए आवाज़ तुम सुन सको हो तो सुन लो!

दुर्गाष्टमी के दिन शेरावाली को पूजकर, दुआ मांगते हो,

पर मुझे गर्भ मैं ही मारकर, शेरावाली को अपनी भक्ति का प्रमाण दे चुके हो,

गर्भ घारण करनेवाली मां होती है,

मुझे को गर्भ मैं मार डालोगे तो अपने बेटे की शादी के लिए बेटी कहाँ से लाएगे

अपना वंश आगे केसै बढाओगे

मेरा ये मेसेज समाज के, कुछ ठेकेदारों के लिए,

सुन सको तो सुन लो!

गर्भ मैं तडपकर दम तोड़ने वाली बेटी की चीख हूं।

ए दरिंदों सुधर जाओ,अभी समय है।

जिस घरों मैं बेटी या औरतों आँसु बहाएँ इसकी पूजा शेरावाली भी कबुल नहीं करती।

गर्भ में मर रही बेटी की बात सुन सको तो सुन लो!       



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