बारिश...
बारिश...
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बारिश भी कितनी मासूम होती है,
कभी दो दिल को मिला देती है,
तो मानो की बारिश मीठी याद दे जाती है।
तो कभी बारिश का रौद्र रुप देखने को मिलता है,
बिफरजोय के रूप मैं जो,
इतिहास बन जाता है,
जो खेत का पाक बिगाड़ कर किशानो को
रुलाने मैं लग जाता है,
पहेली बारिश बात एक है तो घटनाँए अनेक...
पहली बारिश मैं हम टाट परीक्षा के दिवाने हुए थे।
दिमाग हमारा परीक्षा प्रेमी हो गया था।
परीक्षा आकर चली गई दिल मैं एक याद बनकर।