आझादी
आझादी
देश हमारा प्यारा,
सब लोग मिल जुल कर रहते हैं।
ऐसे घुल मिल कर रहते जैसे,
मोतियों जैसे धागा मे एकमेक से जुड कर रहते हैं।
यही हम पढते थे,हमारा देश सोने की चिडिया हुआ करता था।
आज़ादी जितना प्यारा शब्द है,
उसे बयां करने लगे तो उम्र बीत जायेगी,त्याग बलिदान के बदले मिला उपहार है।
आज़ादी मुफ्त मैं न मिली
कितने परिवारो ने अपने परिवार के सदस्य खोये थे।कितने तो हंसते हंसते फांसी पे चढ़ गए थे।
देश मे एक प्रथा,अतिथि देवो भव।परंतु किसी के घर में घुसकर अपनी हकुमत करना कोई ब्रिटिश सर से सीखे,1857 के संग्राम से लेकर साम्राज्य को एक करना इस सिलसिले मे कितने लोगो के घर मै चुला न जला था।
दिल्ली के लाल किले मैं जब तिरंगा लहराया था।तब देश मैं गर्व का माहोल था।पर जलियांवाला बाग मैं कितने लोगो का लहु बहा होगा वो बयान कर न सकते!
तिरंगे में भगवा त्याग और बलिदान, सफेद शांति अमन का हरा हरियाली का यूं न सजा होगा।
वीरो की गाथा जब ही गाते हैं तब दिल नम होता है,पर जब तिरंगा राह मैं गिरा हुआ मिले तो दिल खोलने लगता है,ए दोगली देशभक्ति क्यो...?
ये दिन हमने देखा सब क्रांतिकारी ओ का बलिदान है,पर अभी भी देश में दंगे होना ए अच्छा न है,हमारा देश जब पूरी तरह से आजाद तब होगा जब भ्रष्टाचार, असमानता जातिगत भेदभाव दूर हो तब नया भारत नई दिशा कहलाएगा।