STORYMIRROR

Amit Srivastava

Inspirational

3  

Amit Srivastava

Inspirational

सुराख ...

सुराख ...

1 min
196

दीवारें तो बहुत सी खडी कर दी हमने 

चलो इनमे अब कहीं सुराख ढूंढते  हैं ,

फासलों के इस स्याह से जंगल में 

नज़दिकियों के कुछ जुगनु ढूंढते हैं..

थक गए हैं चलते ..चलते अकेले ,

तुम साथ चलो ऐसा, कोई सफर ढूंढते हैं 

हर चेहरा यहां अजनबी सा लगता है ,फिर भी 

उन चेहरों में कोई तसलीम ढूंढते हैं ..

दीवारें तो बहुत सी खडी कर दी हमने 

चलो इनमे अब कहीं सुराख ढूंढते  हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational