सुनो!
सुनो!
सुनो!
उन्हें भायेगा
साफ - सुथरा
सुव्यवस्थित घर
उन्हें भायेगीं
रसोई से आने वाली
सौंधी खुशबुयें
उन्हें भायेंगे
सलीके से टंगे
कपडे़ धूप में
उन्हें भायेंगे
सजे - संवरे बच्चे
हर सुबह
उन्हें भायेगा
वो सब कुछ
जो वो चाहते हैं
उन्हें नहीं भायेगा
तुम्हारा मुखर होना
तुम्हारा सपने देखना
तुम्हारा यूँ ही खिलखिलाना
दिल की बात सुन जाना
कुछ अलग कर जाना
और
और तुम्हारा
कवितायें लिखना
लेकिन सुनो!
तुम जी भर सपने देखना
खुलकर खिलखिलाना
गलत हो कभी
तो चुप मत रह जाना
और कवितायें
तुम खूब लिखना
बस लिखती जाना.........