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Bhavna Thaker

Classics

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Bhavna Thaker

Classics

सुनो ना

सुनो ना

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तुम मेरे जिस्म से लिपटी त्वचा की तरह हो

कहाँ दूर जा पाऊँगी तुमसे,

क्यूँ इतना चाहते हो मुझे

हर कुछ दिन बाद बिनती मत करो

कि मुझे छोड़कर मत जाना,

ये रिश्ता इतना खोखला तो नहीं

ये इश्क नहीं पागलपन की हद से कई बढ़कर एहसास है।

तुमसे दूर जाना मतलब मौत के करीब जाना,

आज बता दूँ जितना तुम मुझे खोने से डरते हो

उससे कहीं ज़्यादा मैं तड़पती हूँ

मेरी तो सुबह भी तुम शाम भी तुम

और रात भी तुम हो

मेरी सोच में हर खयाल के संग निरंतर बहते मेरे हर स्पंदन के साथी हो

तुम मेरे खून में बहती रवानी हो तुम।

जानती हूँ मेरे बगैर अधूरे महसूस करते हो

खुद को तुम्हारे अकेलेपन की आदत हूँ मैं,

तुम्हें तुमसे ज़्यादा जानती हूँ

इसलिए तो कहाँ दूर जा पाई

बहुत बार तुम्हारी बेरुख़ी की

बौछार सही पर

तुम मेरे अपने हो उस रब से भी मेरे ज़्यादा करीब।

कैसे तुम्हें छोड़ दूँ

कैसे खुद से दूर करूँ

ये कोई बंधन नहीं, रिश्ता नहीं

आपस में जुड़े तन और साँसों सी अनमोल और अनुपम चाह है,

तुम हो तो मैं हूँ,

मैं हूँ तो तुम हो,

हम है तो सबकुछ है।

तुम मेरी ओर से निश्चिंत रहो

मरने से पहले गर अलविदा कर जाऊँ

तो बेवफ़ाओं की सूची में पहला नाम मेरा लिखवा देना,

जिस दिन ये तन अग्नि में विसर्जित होगा

उस दिन भी शायद दूर ना हो पाऊँगी,

याद तुम्हारी आँखों की पुतलियों में भरकर अपने साथ ले जाऊँगी

आत्मिक प्रीत अगले जन्म में भी इंतज़ार करेगी

तुम्हारा इस जन्म के अधूरे मिलन की आस में।

कुछ रंग मेरे वजूद के तुम्हारी आँखों में भी छोड़ जाऊँगी

पहचान लेना इंतज़ार में शिद्दत से तड़पती आँखों को।



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