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Prafulla Kumar Tripathi

Drama

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Prafulla Kumar Tripathi

Drama

सुनो हे कृष्ण !

सुनो हे कृष्ण !

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कृष्ण, सुनो हे कृष्ण

छिपे हो कहाँ,

कंस है यहाँ,

देख, बदल कर रूप


ना तो खटकी सांकल,

ना ही सुनी गई पदचाप

सूक्ष्म बन गया राक्षस मानो,

है लाया अभिशाप


गोपी विह्वल, गोप हैं आकुल,

गली - गली में क्षोभ है ब्याकुल

झर - झर रोवें बाग़ - बगीचा,

मात - पिता सब जन शोकाकुल


ढूँढ़ रहे सब कोना - कोना,

वह मलैच्छ्य कहलाय कोरोना,

पड़ा धरा पर रोना - धोना,

ऊधव भी पकड़े हैं कोना


यमुना सदृश बन गई है दुनिया,

करनी होगी नाग नथैया,

कोरोना सम कालिय

नाग का मर्दन कर दो,

तुम्हीं तो जग के नांव खिवैय्या


कृष्ण, सुनो हे कृष्ण

मुरलिया कहाँ,

श्रुति पटल विह्वल यहाँ,

बजाते क्यों नहीं हो।


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